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पंचांग-पुराण

आदित्य ह्रदय स्त्रोत: क्या है इसके नियम और लाभ ?

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Aditya Hridayam

यह आदित्य हृदय स्त्रोत क्या है? यह किस लिए प्रयोग किया जाता है। यह कैसे प्रयोग किया जाता है। और इसके प्रयोग की सही विधि क्या है तथा यह कितना लाभदायक है?

यह भी जानना आवश्यक है कि इसकी  रचना किसने की और यह किस देवता को समर्पित किया गया है?

आदित्य ह्रदय स्रोत क्या है

Aditya Hridayam

आदित्य हृदय स्त्रोत भगवान भुवन भास्करको प्रसन्न करने के लिए महर्षि अगस्त्य ने इस स्तोत्र  कि  रचना कि थी ! उन्होंने यह स्त्रोत भगवान सूर्य देव को समर्पित कि ! आदित्य हृदय स्त्रोत मुख्य रूप से श्री वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड का एक सौ पाचवां सर्ग  है, भगवान श्री राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अगस्त ऋषि ने इस स्रोतके तेज कावर्णन किया था!

आदित्य हृदय स्रोत का पाठ करने के नियम

आदित्यहृदय पाठ के कुछ विशेष नियम है। जिनका पालन करना आवश्यक है। अन्यथा इसके पाठ का कोई भी फल प्राप्त नहीं होता। इस के पाठ के नियम इस  प्रकार है  :-

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  • इसका पाठ रविवार को संध्या के समय करना चाहिए
  • सूर्योदय के समय भी इसका पाठ लाभदायक होता है
  • सुबह स्नान करके सूर्य को हल्दी अथवा कुमकुम डालकर अर्घ दे
  • भगवान भुवन भास्कर के समक्ष इसका पाठ करना चाहिए
  • पाठक के पश्चात भगवान भुवन भास्कर का ध्यान कर उनको प्रणाम करें
  • रविवार के दिन संभव हो तो नमक का प्रयोग ना करें
  • आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करते समय रविवार को मांसाहार,मदिरा आदि का सेवन ना करें।

आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ किन को लोगो को करना चाहिए:-

  • यदि किसी व्यक्ति को राज्य पक्ष से पीड़ा है या कोई सरकारी मुकदमा चल रहा हो तो वह आदित्य ह्रदय स्रोत का पाठ कर सकता है।
  • यदि कोई व्यक्ति लगातार किसी रोग से पीड़ित है तो वह भी इसका पाठ कर सकता है
  • यदि किसी व्यक्ति के संबंध अपने पिता से अच्छे नहीं हैं तो वह संबंध सुधारने के लिए भी इसका पाठ्य कर सकता है।
  • जीवन के किसी भी बड़े कार्य की सफलता के हेतु भी इसका पाठ किया जा सकता है।
  • जो लोग प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे हैं ऐसे व्यक्तियों को शीघ्र सफलता हेतु भगवान भुवन भास्कर के एस स्त्रोत का पाठ अवश्य ही करना चाहिए!

जिन व्यक्तियों के अंदर आत्मा विश्वास की कमी हो उनको भी यह स्रोत अवश्य ही पढ़ना चाहिए।

चलिए अब यह जानते हैं की किस राशि के व्यक्ति को आदित्य ह्रदय स्रोत का पाठ करने से क्या उत्तम प्राप्त होगा।

बात करते हैं मेष राशि की तो मेष राशि वालों को संतान प्राप्

वृष राशि संपत्ति एवं स्वास्थ्य के लिएइस पाठ का पठन अवश्य करना चाहिए।

मिथुन राशि मिथुन राशि के जातकों को भाई बहनों से अच्छे संबंधों के लिए और दुर्घटनाओं से रक्षा के लिए इस आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए।

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कर्क राशि कर्क राशिके जातकों को आंखों की समस्या से मुक्ति के लिए और धन लाभ  के लिए  इसका पाठ  करना चाहिए ।

सिंह राशि सिंह राशि के जातकों को हर प्रकार के लाभ के साथ ही सभी प्रकार की मनोकामना की पूर्ति के लिए यह पाठ अवश्य करना चाहिए।

कन्या राशि कन्या राशि के जातकों को अच्छे वैवाहिक जीवन विदेश यात्रा एवं अच्छे स्वभाव की प्राप्ति के लिए यह पाठ अवश्य करना चाहिए ।

तुला राशि तुला राशि के जातकों को शत्रुओं पर विजय प्राप्ति और नियमित धन प्राप्ति के लिए इस का पाठ अवश्य करना चाहिए।

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वृश्चिक राशि वृश्चिक राशि के जातकों को शिक्षा प्राप्ति के लिए और अच्छे भविष्य के लिए आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए।

धनु राशि धनु राशि के जातकों को पिता के सहयोग ईश्वर की कृपा और विदेश यात्रा की प्राप्ति के लिए इस का पाठ अवश्य करना चाहिए।

  मकर राशि मकर राशि के जातकों को अच्छे स्वास्थ्य लंबी आयु अचानक लाभ के लिए स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए।

कुंभ राशि कुंभ राशि के जातकों को आर्थिक लाभ अच्छे व्यवसाय सुखद वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए इस का पाठ अवश्य करना चाहिए।

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मीन राशि मीन राशि के जातकों को कर्ज से मुक्ति के लिए अच्छी नौकरी के लिए तथा समस्त सफलताओं के लिए स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए।

जिन जातकों की कुंडली में भुवन भास्कर सूर्य देव दूसरे, तीसरे, चौथे, छठे ,सातवें ,आठवें या बारहवें होतो उनको भी यहआदित्यहृदय स्त्रोत पाठ शुभ फल प्रदान करता है।

आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ कितनी बार करना चाहिए

यदि आपको अपनी मनपसंद नौकरी चाहिए तो आपको इस स्रोत का पाठ तीन बार सुबह जल्दी उठकर करना चाहिए। एक तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ  दे! भुवन भास्कर को जल अर्पित करते समय गायत्री मंत्र का ध्यान  करते  हुए जल अर्पित करें। फिर घर के पूजा घर में बैठकर ओम आदित्य आए नमः मंत्र का जाप11 बारकरें और भगवान सूर्य का ध्यान करें।इसके बाद आदित्य हृदय स्त्रोत का जाप तीन बार करें। पूर्ण लाभ के लिएहर बार एक बार एक बार आदित्य हृदय स्त्रोत पूरा होने के पश्चात सूर्य को जल अर्पित करें।

आप सभी ने इस लेख में यह समझा की भगवान श्री भुवन भास्कर सूर्य देव के चमत्कारिक आदित्य हृदय स्त्रोत काक्या लाभ है इसकी रचना किसने करी इसका पाठ कैसे करना चाहिए तथा पाठ करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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